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Showing posts from September 27, 2009

लोक देवता बाबा रामदेव पीर

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राजस्थान में रामदेवजी को बहुत अधिक पूजा जाता है। गरीबों के रखवाले रामदेव जी का अवतार ही भक्तों के संकट हरने के लिए ही हुआ था। अपने वचन के प्रति कटिबद्धता उनकी पहचान थी। मरते-मरते भी रामदेवजी ने सर्प देवता को दिया हुआ अपना वचन निभाया और स्वेच्छा से सर्प को स्वयं को डसने की अनुमति दी। रामदेव जी की पत्नि ने भी अपना धर्म निभाते हुए पति की चिता में स्वयं को अर्पित कर दिया। तभी से उस स्थान पर रामदेवजी की समाधि है। आज भी गाँवों में स्थान-स्थान पर रामदेवजी के ओटले है। जहाँ पर सर्पदंश से पीडि़त व्यक्ति को लाया जाता है। पीडि़त को रामदेवजी की ताती(धागा) बाँधने से सर्प का जहर धीरे-धीरे निष्क्रिय हो जाता है और पीडि़त फिर से भला-चंगा हो जाता है। सांचौर तहसील के कूड़ा गाव में रामदेवजी का मन्दिर है। कूड़ा जाने के लिया सरनाऊ होकर जाना पड़ता है सरनाऊ से ३ किलोमीटर दुरी पर है जहाँ प्रतिवर्ष रामदेव जंयती पर विशाल मेला लगता है। दूर-दूर से भक्त इस दिन कूड़ा पहुँचते है। कई लोग तो नंगे पैर चलकर कूड़ा गाव जाते है। पर फिर भी रामदेवजी के प्रति उनकी आस्था कम नहीं होती। सरनाऊ और कूड़ा गाव में सबसे जादा देवासी यो की बस

रेगिस्तान का जहाज'

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Pashupalak Dewasi