अम्बा-अरदास
चढ़ो म्रगप महा माया, चामुण्ड़ा चिरताळी।
मद री छांका छक कर माता, धार त्रिसूल धजाली॥
चण्ड मुण्ड भड़ राकस, चंडा, मार दिया मतवाली।
आज सैकड़ा राकसड़ा मिल, मचा रिया पैमाली॥
समंद कोट में रावण समरथ, वर पाकर मुंडमाली।
न्याय नीत नै लोप कोप कर, चाली चाल कुचाली॥
फलचर समंद फांद हिक पळ में, लंका कोट प्रजाली।
दस-कंधर रा दस कंध छाग्यां, संत साध प्रतपाली॥
जद जद हुई धरम घर हाणी, धारी खड़ग भुजाली।
रजवट वट प्रतपालक देवी, जय अम्बे जय काली॥