बड़े नेताओं की नजर सिरोही सीट पर
32 साल बाद सामान्य सीट घोषित होने पर राजस्थान में जालोर (सिरोही) लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के अनेक राष्ट्रीय नेताओं की नजरें इस सीट पर लगी हुई हैं।
पूर्व विदेशमंत्री जसवंतसिंह जसोल, उनके पुत्र मानवेन्द्रसिंह, पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत के बाद अब भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रामदास अग्रवाल भी इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए मन बना रहे हैं।
अग्रवाल ने राज्यसभा सांसद कोटे से यहाँ पर एक करोड़ के विकास कार्य करवाकर अपनी दावेदारी का मार्ग खोला है। जसवंतसिंह ने भी हाल में 50 लाख रुपए के विकास कार्य सांसद कोष से स्वीकृत किए हैं।
1952 से 2008 तक के 56 साल के इतिहास में इस सीट पर सामान्य वर्ग का स्थानीय नेता सांसद नहीं बन सका। इस कारण इस बार पूरे संसदीय क्षेत्र मे स्थानीय 'सपूत' को उम्मीदवार बनाने की माँग भाजपा व कांग्रेस में जोरों से चल रही है तथा मतदाताओं का भी मन स्थानीय उम्मीदवार को टिकट दिलाने का साफ-साफ दिखाई दे रहा है।
1952 में अजितसिंह, 1957 में सूरजरतन धमानी, 1962 में हरीश चन्द्र माथुर, 1967 में उद्योगपति देवकीनंदन पाटोदिया व 1971 में एनके सांगी यहाँ से जनरल सीट के रुप में सांसद रहे। ये सभी बाहरी प्रत्याशी थे। 1977 से 2004 तक यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रही और अब परिसीमन में सामान्य होने से यहाँ पर स्थानीय प्रत्याशी की माँग उभरती जा रही है।कांग्रेस पार्टी इस सीट से सागर राईका के अलावा उद्योगपति रमण जैन, बिसलपुर के समाजसेवी राजमल एस. जैन या सांचौर के निर्दलीय विधायक जीवाराम चौधरी को मंत्री बनाकर सांसद का चुनाव लडाने पर विचार कर रही है। जीवाराम की जीत का गणित होने के कारण कांग्रेस सोच रही है कि वह सांसद बन गए तो कांग्रेस सांचौर की सीट फिर कब्जा कर अपनी एक सीट विधानसभा में बढ़ा लेगी। जालोर में 8 में से तीन विधायक चौधरी समाज के होने से कांग्रेस को जीत में आसानी दिखाई दे रही है। अनुसूचित जाति, जनजाति, मुस्लिम व चौधरी वोट बैंक से यह सीट आसानी से जीती जा सकती है।
उधर भाजपा जीवाराम चौधरी, सागर राईका एवं रमण जैन के सामने सिरोही के मूल निवासी व महाराष्ट्र में 20 वर्षो से विधायक की सीट पर कब्जा जमाए प्रवासियों के अखिल भारतीय अध्यक्ष राज के. पुरोहित को टिकट देने पर विचार कर रही है।
पूर्व विदेशमंत्री जसवंतसिंह जसोल, उनके पुत्र मानवेन्द्रसिंह, पूर्व उपराष्ट्रपति भैरोसिंह शेखावत के बाद अब भाजपा के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष रामदास अग्रवाल भी इस सीट से चुनाव लड़ने के लिए मन बना रहे हैं।
अग्रवाल ने राज्यसभा सांसद कोटे से यहाँ पर एक करोड़ के विकास कार्य करवाकर अपनी दावेदारी का मार्ग खोला है। जसवंतसिंह ने भी हाल में 50 लाख रुपए के विकास कार्य सांसद कोष से स्वीकृत किए हैं।
1952 से 2008 तक के 56 साल के इतिहास में इस सीट पर सामान्य वर्ग का स्थानीय नेता सांसद नहीं बन सका। इस कारण इस बार पूरे संसदीय क्षेत्र मे स्थानीय 'सपूत' को उम्मीदवार बनाने की माँग भाजपा व कांग्रेस में जोरों से चल रही है तथा मतदाताओं का भी मन स्थानीय उम्मीदवार को टिकट दिलाने का साफ-साफ दिखाई दे रहा है।
1952 में अजितसिंह, 1957 में सूरजरतन धमानी, 1962 में हरीश चन्द्र माथुर, 1967 में उद्योगपति देवकीनंदन पाटोदिया व 1971 में एनके सांगी यहाँ से जनरल सीट के रुप में सांसद रहे। ये सभी बाहरी प्रत्याशी थे। 1977 से 2004 तक यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित रही और अब परिसीमन में सामान्य होने से यहाँ पर स्थानीय प्रत्याशी की माँग उभरती जा रही है।कांग्रेस पार्टी इस सीट से सागर राईका के अलावा उद्योगपति रमण जैन, बिसलपुर के समाजसेवी राजमल एस. जैन या सांचौर के निर्दलीय विधायक जीवाराम चौधरी को मंत्री बनाकर सांसद का चुनाव लडाने पर विचार कर रही है। जीवाराम की जीत का गणित होने के कारण कांग्रेस सोच रही है कि वह सांसद बन गए तो कांग्रेस सांचौर की सीट फिर कब्जा कर अपनी एक सीट विधानसभा में बढ़ा लेगी। जालोर में 8 में से तीन विधायक चौधरी समाज के होने से कांग्रेस को जीत में आसानी दिखाई दे रही है। अनुसूचित जाति, जनजाति, मुस्लिम व चौधरी वोट बैंक से यह सीट आसानी से जीती जा सकती है।
उधर भाजपा जीवाराम चौधरी, सागर राईका एवं रमण जैन के सामने सिरोही के मूल निवासी व महाराष्ट्र में 20 वर्षो से विधायक की सीट पर कब्जा जमाए प्रवासियों के अखिल भारतीय अध्यक्ष राज के. पुरोहित को टिकट देने पर विचार कर रही है।