ऊंट पालक देवासी

बीकानेर,। राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र में शनिवार को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के सहायक महानिदेशक डा. सी.एस. प्रसाद ने देश की पहली उष्ट्र दुग्धशाला डेयरी का शुभारम्भ कर किया। इस डेयरी में कैमल मिल्क सहित उससे जुड़े उत्पाद भी मिलेंगे। मुख्य अतिथि पद से अपने उद्बोधन में बोलते हुए प्रसाद ने कहा कि मरुस्थल का नाम आते ही ऊंट का नाम आता है क्योंकि ये दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। हमने पशु में महत्व को स्वीकार किया। इस संस्थान में cv पर निरन्तर रिसर्च करके नई-नई खोजों को विकसित किया जा रहा है। ये देश की प्रथम ऊंट दुग्ध डेयरी है। अकाल की पुनरावृत्ति, वर्षा की कमी, चारे की कमी से इनकी उपयोगिता में काफी कमी आई है। ऊंटनी गाय के मुकाबले 5 गुना अधिक दूध देने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि ऊंटनी का दूध शूगर, टीबी, लीवर की बीमारियों में बड़ा फायदेमंद होता है। उन्होंने यह भी कहा कि संस्थान में प्रतिवर्ष विदेशी व देशी पर्यटक आते हैं और सऊदी अरब, मिश्र व विश्व के अन्य देशों से लोग यहां रिसर्च करने के लिए आना चाहते हैं। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के डा. एस. बी. एस. यादव ने कहा कि ऊंट की उपयोगिता ने मशीन का महत्व घटा दिया है। पर्यटक इसकी सुन्दरता को नजदीक से देखने आते हैं। बिजली की कमी दूर करने के लिए संस्थान में एक प्रोजेक्ट चल रहा है। इसमें ऊंट व ऊंटनी दोनों काम में लिए जाते हैं। राईका समाज के जिलाध्यक्ष मूलाराम राईका ने कहा कि ऊंट जाति के जीवन को छुआ जाए, इसके विनाश को, कमी को रोका जाए। यह हमारे बुझे हुए दीए को यह टिमटिमाते तारे की तरह जगाता है। समाज में जिसके पास ऊंट होता है उसे सम्पन्न माना जाता है। संस्थान के निदेशक डा. के. एम. पाठक ने कहा कि वर्ष 1951 की पशु गणना में इनकी संख्या 60 लाख थी जो 2009 में भी इनकी संख्या इतनी ही थी। ऊंट पालक इस व्यवसाय से धीरे-धीरे हट रहे हैं खेतीबाड़ी में ट्रेक्टरों की उपयोगिता बढ़ गई है इसलिए इनकी उपयोगिता घट रही है। उन्होंने कहा कि ऊंटनी के दूध की उपयोगिता, बढ़ती मांग के मद्देनजर ऊंटपालकों के वारे-न्यारे होंगे यदि वे इसके महत्व को सही ढंग व नजरिए से समझेंगे। क्योंकि ऊंट की उपयोगिता को बढ़ाने के लिए ऊंटनियों के दूध के मूल्यवर्ध्दन को लोकप्रिय बनाया जा रहा है ताकि अधिक से अधिक किसान ऊंटपालन को अपना सकें। उन्होंने बताया कि वर्तमान में केन्द्र ऊंटनी का कच्चा दूध, फ्लेवर्ड मिल्क, तथा उससे बनने वाली आइसक्रीम की बिक्री कर रहा है जबकि इसकी चाय व कॉफी भी जायकेदार है। कजाकिस्तान की एक कम्पनी इसी माह यहां आएगी और डेयरी खोलकर कैमलमिल्क से ओर अधिक शोध एवं रिसर्च के बाद अन्य उत्पादों की शृंखला तैयार करेंगे। केन्द्र के संस्थान प्रबन्ध समिति एवं अनुसंधान सलाहकार समिति के सदस्य श्रीगोपाल उपाध्याय व डा. आर. एस. खत्री ने भी विचार रखे। अतिथियों ने पुस्तिका 'करभ' का भी विमोचन इस मौके पर किया।

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