प्रशासन-किसान आमने-सामने

सांचौर। नर्मदा परियोजना के तहत जालोर व आहोर कस्बे को पानी उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से तैतरोल में प्रस्तावित फिल्टर प्लांट के निर्माण को लेकर एक बार फिर जिला प्रशासन और किसान आमने-सामने हो गए हैं।शुक्रवार शाम तैतरोल पहुंचे कलक्टर एसएस बिस्सा ने परियोजना के अघिकारियों को भूमि अघिग्रहित कर निर्माण कार्य शुरू करने के आदेश दिए हैं, वहीं किसान इस जिद पर अडे हैं कि वे बगैर उचित मुआवजे किसी भी कीमत पर अपनी भूमि पर कब्जा नहीं होने देंगे।

तैतरोल में भूमि अघिग्रहण का काम पूरा नहीं होने के कारण परियोजना का काम करीब डेढ साल से अघिक लम्बित हो गया है। तैतरोल में फिल्टर प्लांट व डिग्गी का निर्माण होने के बाद ही आगे का काम पूरा हो पाएगा। इस वजह से परियोजना के तहत काम कर रही कंपनी को भी पिछले काफी समय से ग्रामीणों का अवरोध झेलना पड रहा था। यहां तक कि जलदाय विभाग के अघिकारियों को भी किसानों ने कई बार खाली हाथ लौटा दिया।

तैतरोल में जमीन नहीं मिलने से अटके काम को शुरू करने के लिए कलक्टर एसएस बिस्सा ने शुक्रवार को गांव का दौरा किया। उन्होंने किसानों से समझाइश का भी प्रयास किया, लेकिन किसान अपनी मांग पर अडे हुए हैं। हालांकि कलक्टर ने आदेश दिए हैं कि निर्माण कार्य शीघ्र शुरू कर दिया जाए।

ग्रामीणों की मांग
तैतरोल-रणोदर गांव के ग्रामीणों की मांग है कि चौरा गांव में करीब 189 हैक्टेयर सरकारी भूमि उपलब्ध होते हुए भी उनकी जमीनें जबरन ली जा रही हैं। तैतरोल-रणोदर गांव में इस परियोजना के लिए भूमि अवाप्त में करीब 400 लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट खडा हो जाएगा।

यह है मसला
तैतरोल-रणोदर गांव में जालोर शहर सहित जिले के 281 गांवों में नर्मदा का पानी पेयजल के लिए उपलब्ध करवाने के लिए सरकार ने 310 करोड की एफआर पेयजल परियोजना बनाई। परियोजना के लिए सरकार की ओर से 123.19 हैक्टेयर भूमि अवाप्त करने की कार्रवाई शुरू की गई, लेकिन किसान भूमि नही देने की मांग पर अडे हुए हैं।

हमारी रोजी-रोटी खेती पर ही निर्भर हैं। इस कारण किसी भी सूरत में जमीन नहीं देंगे। यह परियोजना सरकारी भूमि पर बननी चाहिए।
-रतनाराम विश्नोई, रणोदर

रणोदर की जमीन सिंचित होते हुए भी किसानों को असिंचित भूमि का मुआवजा दिया जा रहा है,जबकि वर्तमान में इस भूमि पर करीब 17 ट्यूबवैल चल रहे हैं। सिवाडा की डीएलसी दर 3.20 लाख रूपए हैं। सीमा से सटे रणोदर की डीएलसी मात्र .80 लाख रूपए हैं। ऎसे में किसानों को पूरा नुकसान उठाना पडेगा।
-हरिकिशन विश्नोई, पूर्व सरपंच

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