हिंदुत्व ही राष्ट्र की पहचान है: भागवत
दिल्ली [जासं]। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ [आरएसएस] के सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि भारत में रहने वाला प्रत्येक व्यक्ति हिंदू है। हिंदू किसी सम्प्रदाय, मजहब और पंथ का नाम नहीं है। हिंदू हिन्दुस्तान की पहचान है। हिंदू राष्ट्र की सर्वागीण उन्नति से भारत शक्तिशाली होगा। उसमें दुनिया का कल्याण होगा, दुनिया सुंदर बनेगी और भारत की संस्कृति ऊपर उठेगी। हिंदुत्व से राष्ट्र की पहचान है। हिंदू संस्कृति में सारे विश्व में शांति स्थापित करने की क्षमता है। विश्व विश्वबंधुत्व की ओर इसी आधार पर बढ़ रहा है। अपनी इस पहचान के आधार पर भारत दुनिया को रास्ता दिखा सकता है।
भागवत ने कहा कि संघ कार्य का विस्तार देश के कोने-कोने में तीव्र गति से हो रहा है। सरसंघचालक ने पूर्व राष्ट्रपति डा. अब्दुल कलाम द्वारा कहे गए शब्दों को दोहराया कि आज का युगधर्म शक्ति की अराधना है। सही संस्कारों पर आधारित लोक शक्ति से ही भारत और विश्व का कल्याण होगा। संघ के स्वयंसेवक इसी लक्ष्य की पूर्ति के लिए जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि 83 वर्ष के इतिहास में 60 वर्ष तक संघ का विरोध होता रहा। लेकिन स्वयंसेवकों ने उस विरोध का मुंहतोड़ जवाब दिया। असल में कुछ लोग राजनीतिक स्वार्थो की पूर्ति के लिए इसका विरोध करते हैं। कुछ लोग तो जन्म ही सिर्फ विरोध के लिए लिए हैं।
उन्होंने कहा कि भारी विरोध के बावजूद आरएसएस आगे बढ़ रहा है। इसकी विजय निश्चित है। अब तो राष्ट्र की विजय के लिए संघर्ष करना है। भागवत ने कहा कि देश तरक्की तब करता है जब समाज का हर व्यक्ति देश की भलाई में जुटता है। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान में केवल हिंदू ही रहते हैं, इसे सभी को मानना होगा। साथ ही अपने आचरण से सभी में हिंदुत्व जगाना होगा।
ज्ञातव्य हो कि मोहन भागवत के सरसंघचालक बनने के बाद दिल्ली में उनका सम्मान समारोह आयोजित किया गया था। इस मौके पर संघ के निवर्तमान सरसंघचालक केसी सुदर्शन, सरकार्यवाहक सुरेश जोशी, क्षेत्रीय संघचालक बजरंग लाल गुप्ता, प्रांत संघचालक रमेश प्रकाश, सुरेश सोनी, रामेश्वर, सीताराम व्यास, राम माधव, मधुभाई कुलकर्णी, प्रवीण भाई तोगड़िया, चिरंजीव सिंह, मदन लाल खुराना, विजय गोयल आदि मौजूद थे।
भागवत ने कहा कि संघ कार्य का विस्तार देश के कोने-कोने में तीव्र गति से हो रहा है। सरसंघचालक ने पूर्व राष्ट्रपति डा. अब्दुल कलाम द्वारा कहे गए शब्दों को दोहराया कि आज का युगधर्म शक्ति की अराधना है। सही संस्कारों पर आधारित लोक शक्ति से ही भारत और विश्व का कल्याण होगा। संघ के स्वयंसेवक इसी लक्ष्य की पूर्ति के लिए जुटे हुए हैं। उन्होंने कहा कि 83 वर्ष के इतिहास में 60 वर्ष तक संघ का विरोध होता रहा। लेकिन स्वयंसेवकों ने उस विरोध का मुंहतोड़ जवाब दिया। असल में कुछ लोग राजनीतिक स्वार्थो की पूर्ति के लिए इसका विरोध करते हैं। कुछ लोग तो जन्म ही सिर्फ विरोध के लिए लिए हैं।
उन्होंने कहा कि भारी विरोध के बावजूद आरएसएस आगे बढ़ रहा है। इसकी विजय निश्चित है। अब तो राष्ट्र की विजय के लिए संघर्ष करना है। भागवत ने कहा कि देश तरक्की तब करता है जब समाज का हर व्यक्ति देश की भलाई में जुटता है। उन्होंने कहा कि हिंदुस्तान में केवल हिंदू ही रहते हैं, इसे सभी को मानना होगा। साथ ही अपने आचरण से सभी में हिंदुत्व जगाना होगा।
ज्ञातव्य हो कि मोहन भागवत के सरसंघचालक बनने के बाद दिल्ली में उनका सम्मान समारोह आयोजित किया गया था। इस मौके पर संघ के निवर्तमान सरसंघचालक केसी सुदर्शन, सरकार्यवाहक सुरेश जोशी, क्षेत्रीय संघचालक बजरंग लाल गुप्ता, प्रांत संघचालक रमेश प्रकाश, सुरेश सोनी, रामेश्वर, सीताराम व्यास, राम माधव, मधुभाई कुलकर्णी, प्रवीण भाई तोगड़िया, चिरंजीव सिंह, मदन लाल खुराना, विजय गोयल आदि मौजूद थे।