पशुपालन में स्वरोजगार पाएंगे ग्रामीण


ग्रामीण क्षेत्रों से बेरोजगार नवयुवकों का पलायन रोकने के लिए उन्हें उनके गांवों में ही रोजगार दिलाने की जरूरत है। उन्हें स्वरोजगार के अवसर डेयरी व पशुपालन क्षेत्र में मिल सकते हैं क्योंकि इसमें तेज विकास की संभावना है। हरियाणा में पानीपत के चिदाना में आयुर्वेद नाम की संस्था ऐसे ही युवकों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम लेकर आई है। संस्था युवाओं को पशु सहायक के रूप में प्रशिक्षण दे रही है ताकि अपने गांवों में ग्रामीणों को पशुओं के रखरखाव में आने वाली मुश्किलें सुलझाने में मदद दे सकें। अपनी सेवा देने के लिए वे शुल्क के रूप में आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। इस तरह वे अपने गांव में ही स्वरोजगार के जरिये अपनी आजीविका कमा सकते हैं।

संस्था ने आयुर्वेद पशु आहार प्लांट चिदाना में 13 एकड़ क्षेत्रफल में आयुर्वेद रिसर्च फाउंडेशन के अंतर्गत तीन माह का ग्रामीण डेरी व पशुपालन उद्यमी विकास प्रशिक्षण प्रोग्राम शुरू कर दिया है। ट्रेनिंग में शामिल युवाओं को पशुओं से संबंधित पालन, पोषण, बीमारियों से बचाव के आयुर्वेदिक तरीके सिखाने के लिए सैद्धांतिक व व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रतिदन चार घंटे की प्रेक्टीकल ट्रेनिंग और तीन घंटे की थ्योरी स्टडी दी जाती है। प्रशिक्षित होने के बाद युवक अपने गांवों में लोगों को पशु रखरखाव संबंधी सेवा देकर तीन-चार हजार रूपये प्रति माह कमा सकते हैं।

आयुर्वेद रिसर्च फांउडेशन के सदस्य व आयुर्वेद के प्रमुख डा. अनूप कालरा ने बताया कि आज भारत की जनता को पशुपालन क्षेत्र से जोड़ने की जरूरत है। इसके लिए आयुर्वेद संस्था ने एक नई पहल करते हुए ग्रामीण युवाओं को डेयरी व पशुपालन क्षेत्र में स्वरोजगार उपलब्ध कराने के लिए तीन माह का ग्रामीण डेयरी व पशुपालन उद्यमी विकास प्रशिक्षण प्रोग्राम शुरू किया है। इस प्रोग्राम में शामिल होने के लिए युवक पढ़ा-लिखा बेरोजगार, पशुपालक परिवार से होना चाहिए। इसमें एक गांव से एक युवक को शामिल किया जाता है। उन्होंने बताया कि चुने गए पहले बैच की ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है। पहले बैच के 20 युवकों में से 16 युवकों को प्रशिक्षण पूरा करने का प्रमाणपत्र प्रदान किया गया है। डेयरी व्यवसाय खुद शुरू करने के लिए चार युवकों को बैंकों से लोन दिलाने में भी सहायता की गई है। ग्राम मुंडलाना के कुलदीप ने 11 लाख रुपये लेकर अपना डेयरी व्यवसाय शुरू किया है। बंसत, दुराना तथा प्रदीप नामक युवाओं ने भी पंजाब नेशनल बैंक से एक-एक लाख रुपये कर्ज लेकर अपना व्यवसाय शुरू किया है।

युवाओं को ग्रामीण डेयरी प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य पशुओं के स्वास्थ्य व उनके पोशण की जानकारी देना है। ट्रेनिंग के दौरान युवाओं को पशुओं का आयुर्वेद तरीके से इलाज करना सिखाया जाता है। इसके अलावा पशुओं को पौष्टिक आहार देने के लिए युवा पशुपालकों को सलाह दे सकते हैं। गांवों में पशुपालकों के सामने पशुओं जैसे गाय, भैंस के गर्भाधान न होने की समस्या प्राय: आती है। युवाओं को इसके बार में जानकारी दी जाती हैं। जिसके जरिये वे पशुपालकों को मदद कर सकते हैं।

संस्था का पहला बैच तीन माह की ट्रेनिंग के बाद जुलाई में काम शुरू कर चुका है। पशुपालकों को मदद करके प्रशिक्षित युवा आमदनी प्राप्त भी करने लगे हैं। युवाओं का कहना है कि पशुओं को सलाह देने और इलाज करने के लिए उन्हें तीस-चालीस आराम से मिल जाते हैं। इस तरह वे रोजाना पचास से सौ रुपये तक आसानी के कमा लेते हैं। इस तरह ढाई-तीन हजार की आय प्राप्त करना कोई मुश्किल नहीं है।
प्रथम चरण के ट्रेनिंग प्राप्त युवकों बसंत (मुण्डलाना), बहादुर (जवाहरा), अजीत, सोनू आदि ने बताया कि इस ट्रैनिंग को करने पर बहुत खुशी हो रही है। अपनी गांव के पशुओं की देखभाल कर उन्हें बीमारी से बचा रहे हैं तथा आस-पास के पशुओं का इलाज कर आज वे तीन से चार हजार रूपये प्रति माह कमा रहे हैं। प्रशिक्षित युवा दूसर युवकों को इसके लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि आगामी दिनों में उनकी आय में इजाफा होगा। उन्होंने बताया कि गांव में सबसे ज्यादा परशानी पशुओं में गर्भाधान न ठहरने की है तथा इसमें वे पशुपालकों की मदद कर रहा है।

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