देशभर से पहुंचे श्रद्धालु
सांचौर। गोधाम पथमेडा में चातुर्मास व्रत महोत्सव के दौरान श्रावण मास की पूर्णिमा को श्रावणी कर्म, रक्षाबंधन व संस्कृति दिवस मनाया गया। कामधेनु सरोवर पर गोधाम पथमेडा के प्रधान सरंक्षक स्वामी दत्तशरणानंद महाराज व आसोतरा के पीठाधीश तुलसाराम महाराज के सानिध्य में श्रावणीकर्म का वैदिक अनुष्ठान सम्पन्न हुआ।
इस मौके सैकडों यज्ञोपवितधारी श्रद्धालुओं ने करीब तीन घंटे कमर तक जल में खडे रहकर तर्पण, स्नान व विघिपूर्ण अनुष्ठान किए। इस मौके श्रद्धालुओं ने समस्त पितृऋणों से मुक्ति व अमोघ आशीर्वाद प्राप्ति के लिए विघिवत आह्वान किया। पंडित श्रीसागर के आचार्यत्व में 21 ब्राrाणों की उपस्थिति में स्वामी दत्तशरणानंद महाराज व तुलसाराम महाराज ने दसविघि स्नान किया, जिसमें गोबर, गोमूत्र, गोरज, धान्य, दूध, दहि, सर्वोऔषघि के द्वारा सभी की तन शुद्धि हुई।
इस अवसर पर गणपति, विष्णु एवं सप्तऋçष्ा पूजन, देव, मनुष्य व ऋçष्ातर्पण किया गया। कहा जाता है कि श्रावणीकर्म करने से व्यक्ति को देवऋण, मनुष्यऋण व ऋçष्ाऋण से मुक्ति मिलती हैं। इससे व्यक्ति आध्यात्म की तरफ बढता हैं।
देशभर से पहुंचे श्रद्धालु
श्रावण पूर्णिमा के अवसर पर देश के कोने-कोने से श्रद्धालु विभिन्न वाहनों में सवार होकर गोधाम पहुंचे। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने जमकर दान पुण्य कर तुलसाराम महाराज व स्वामी दत्तशणानंद महाराज के दर्शन कर आशीर्वाद लिया।
इस मौके सैकडों यज्ञोपवितधारी श्रद्धालुओं ने करीब तीन घंटे कमर तक जल में खडे रहकर तर्पण, स्नान व विघिपूर्ण अनुष्ठान किए। इस मौके श्रद्धालुओं ने समस्त पितृऋणों से मुक्ति व अमोघ आशीर्वाद प्राप्ति के लिए विघिवत आह्वान किया। पंडित श्रीसागर के आचार्यत्व में 21 ब्राrाणों की उपस्थिति में स्वामी दत्तशरणानंद महाराज व तुलसाराम महाराज ने दसविघि स्नान किया, जिसमें गोबर, गोमूत्र, गोरज, धान्य, दूध, दहि, सर्वोऔषघि के द्वारा सभी की तन शुद्धि हुई।
इस अवसर पर गणपति, विष्णु एवं सप्तऋçष्ा पूजन, देव, मनुष्य व ऋçष्ातर्पण किया गया। कहा जाता है कि श्रावणीकर्म करने से व्यक्ति को देवऋण, मनुष्यऋण व ऋçष्ाऋण से मुक्ति मिलती हैं। इससे व्यक्ति आध्यात्म की तरफ बढता हैं।
देशभर से पहुंचे श्रद्धालु
श्रावण पूर्णिमा के अवसर पर देश के कोने-कोने से श्रद्धालु विभिन्न वाहनों में सवार होकर गोधाम पहुंचे। इस अवसर पर श्रद्धालुओं ने जमकर दान पुण्य कर तुलसाराम महाराज व स्वामी दत्तशणानंद महाराज के दर्शन कर आशीर्वाद लिया।