दीप ज्योति बनकर हम जग में नव प्रकाश फैलाएं.



दीप ज्योति बनकर हमजग में नव प्रकाश फैलाएं.आत्म और परमात्म मिलाकरदीप-ज्योति बन जाएँ...दस दिश प्रसरित हो प्रकाशतम् तनिक न हो अवरोध.सबको उन्नति का अवसर होस्वाभिमान का बोध.पढने, बढ़ने, जीवन गढ़नेका सबको अधिकार.जितना पायें, शत गुण बाँटेंबढे परस्पर प्यार.रवि सम तम् पी, बाँट उजालाजग ज्योतित कर जाएँ.अंतर्मन का दीप बालकरदीपावली मनाएँ...अंधकार की कारा काटें,उजियारा हो मुक्त.निज हित गौड़, साध्य सबका हित,जन-गण हो संयुक्त.श्रम-सीकर की विमल नर्मदा,'सलिल' करे अवगाहन.रचें शून्य से स्रष्टि समूची,हर नर हो नारायण.आत्म मिटा विश्वात्म बनें,परमात्म प्राप्त कर पायें.'मैं' को 'हम' में कर विलीन,'सब' दीपावली मनाएँ...

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