दीपावली महोत्सव

अधिकांश व्यक्तियों को इस बात की जानकारी नहीं रहती है कि दीपावली पर्व किस तरह मनाया जाए।कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या को दीपावली पर्व मनाया जाता है। उस दिन धन प्रदात्री 'महालक्ष्मी' एवं धन के अधिपति 'कुबेर' का पूजन किया जाता है।हमारे पौराणिक आख्यानों में इस पर्व को मनाने की संपूर्ण व्यवस्था दी गई है। इसका संबंध हमारे जीवन में आयु, आरोग्य, धन, ज्ञान, वैभव व समृद्धि की उत्तरोत्तर प्राप्ति से है। साथ ही मानव जीवन के दो प्रभाग धर्म और मोक्ष की भी प्राप्ति हेतु विभिन्न देवताओं के पूजन का उल्लेख है।आयु के बिना धन, यश, वैभव का कोई उपयोग ही नहीं है। अतः सर्वप्रथम आयु वृद्धि एवं आरोग्य प्राप्ति की कामना की जाती है। इसके पश्चात तेज, बल और पुष्टि की कामना की जाती है। तत्पश्चात धन, ज्ञान व वैभव प्राप्ति की कामना की जाती है।विशेषकर आयु व आरोग्य की वृद्धि के साथ ही अन्य प्रभागों की प्राप्ति हेतु क्रमिक रूप से यह पर्व धन-त्रयोदशी (धन-तेरस), रूप चतुर्दशी (नरक-चौदस), कार्तिक अमावस्या (दीपावली- महालक्ष्मी, कुबेर पूजन), अन्नकूट (गो-पूजन), भाईदूज (यम द्वितीया) के रूप में पाँच दिन तक मनाया जाता है।आइए इन पाँचों पर्वों को कैसे मनाया जाए, यह देखते हैं।धन-त्रयोदशी (धन-तेरस)कार्तिक कृष्ण-13 को यमराज (मृत्यु के देवता) का पूजन किया जाता है। साथ ही लक्ष्मी (तिजोरी) का भी पूजन किया जाता है।प्रदोषकाल तक व्रत रखकर, प्रदोषकाल प्रारंभ होने के पश्चात तेल का दीपक जलाकर विधिवत यथाशक्ति (पंचोपचार अथवा षोडशोपचार द्वारा) दीपक-पूजन करके, घर के मुख्य प्रवेश द्वार के बाहर उस दीपक को रखा जाता है। दीपक रखते समय यह प्रार्थना की जाती है कि 'हे यम देवता! आपके वर-प्रसाद से हमें पूर्ण आयुष्य की प्राप्ति हो।' (प्रयास यह रहना चाहिए कि यह दीपक संपूर्ण रात्रि जलता रहे)इसी दिन घर में कीमती आभूषण व नकद द्रव्य रखे जाने वाले खजाने (तिजोरी) का भी पूजन किया जाता है। नवीन आभूषण, बर्तन इत्यादि उपयोगी वस्तुएँ भी खरीदी जाती हैं। इसके अलावा आरोग्य प्रदाता भगवान धन्वंतरि का भी पूजन किया जाता है।

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