खुशियों का त्योहार है होली : धनजी देवासी
सरनाऊ गाव में सोमवार को होली मिलन समारोह का आयोजन किया गया। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में सरनाऊ सरपंच धनजी देवासी ने शिरकत की। उन्होंने कहा कि रंगों के इस उत्सव को बड़े ही शालीनता और सहजता के साथ मनायें। लोगों को होली की शुभकामना देते हुए कहा कि सभी को मिलजुलकर इस पर्व को शांतिपूर्ण वातावरण में मनाये। होली का त्योहार दोस्ती को और अधिक मजबूत करने वाला होता है। होली के त्योहार पर सभी धर्मो के लोग एक हो जाते है और मिलकर होली मनाते है। इससे पहले आये अतिथियों ने एक दूसरे को रंग-गुलाल लगा आपसी भाईचारा बनाने का अनुरोध किया। मंच का संचालन सावलाराम देवासी व मोहनलाल मेघवाल ने किया। जबकि धन्यवाद सालूराम देवासी अध्यापक ने किया। इस मौके पर अपर समाहर्ता सालूराम आल माधाराम वाड्पंच कोजारामजी पालडी करनाजी खाटोना रायमलजी कालर वागाजी पालडी बुधाराम खिलेरी रुपाराम खिलेरी सोनाराम जुजारामजी पुनमाराम भोगरा भावाराम रोज भलाराम मदेवाराम सव्धारिया राजाराम सव्धारिया प्रभुजी गोगल जुठाराम नरीगाराम वरधाराम सवाराम प्रभुराम कुंभार मचराराम सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।
होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला रंगों भरा महत्वपूर्ण त्योहार है। होली में जितना महत्व रंग और गुलाल का है, उतना ही महत्व होलिका दहन व पूजा पाठ का भी है। क्योंकि यही वह दिन है जब आप किसी भी बुराई को अग्नि में जलाकर समाप्त कर सकते हैं।
होली पर्व हिंदू पंचाग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रंगों का त्योहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से दो दिन मनाया जाता है। जहां पहले दिन विभिन्न स्थानों पर होलिका दहन किया जाता है। पौराणिक कथा के अनुसार हिरण्यकश्यप ने पुत्र प्रह्लाद को अपनी बहन होलिका की गोद में बैठाकर अग्नि के हवाले कर दिया था। लेकिन, प्रह्लाद सच्ची आस्था एवं भक्ति से बुराई पर जीत कायम कर सुरक्षित बच निकला था।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त
होलिका दहन के शुभ समय को लेकर जोशी ईशवर महाराज का कहना है कि पूर्णमासी का समय 7 मार्च की शाम 5 बजकर 52 मिनट से शुरू होकर अगले दिन शाम 4 बजकर 8 मिनट तक रहेगा। वही पूर्णमासी में भद्रा काल रहता है। इस दौरान होलिका दहन करना समाज के लिए शुभ नहीं माना जाता। ऐसे में भद्रा काल 10 बजकर 50 मिनट आधा समाप्त हो जाने के बाद होलिका दहन को शुभ माना गया।