नन्ही उम्र में बन गया सुरीली आवाज का बादशाह
धनजी देवासी ने हार्दिक शुभकामनाएं दि सरनाऊ गाव का नाम रोशन किया
सांचौर. उपखंड क्षेत्र के सरनाऊ ग्राम पंचायत में एक होनहार किशोर अपनी आवाज से एक अलग पहचान बनाकर क्षेत्र एवं प्रदेश का नाम रोशन कर रहा है। सांचौर क्षेत्र से 20 किलोमीटर की दूरी पर एक ग्राम सरनाऊ निवासी सुरेश लौहार पुत्र गणेशाराम जो कि महज 13 साल की उम्र का ही है, लेकिन उसने इतनी कम उम्र में ही अपनी आवाज से एक अलग पहचान बना ली है। आवाज के जादू से ही सोशन साइट पर उसके हजारों फैन बन चुके हैं।
इसकी आवाज सुनने के लिए प्रदेश के हर क्षेत्र में कोई भी सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होने पर उसको आमंत्रित किया जा रहा है। वहीं सुरेश कुमार इस उम्र में जिला कलक्टर सहित कई जगहों पर सम्मानित हो चुका है।
13 वर्ष की उम्र में ही मिली प्रसिद्धि
उपखंड क्षेत्र के एक पिछड़े ग्राम में निवास करने वाला सुरेश लौहार ने इसी वर्ष किशोर अवस्था में प्रवेश किया है, लेकिन उसके काम से उसने प्रदेश भर में अपना नाम कमा लिया है। वहीं सुरेश कुमार को गाने के लिए प्रदेश भर से निमंत्रण मिल रहे है।
आठवीं कक्षा का छात्र है सुरेश
सुरेश अपने गांव में ही एक निजी स्कूल में 8वीं में अध्ययनरत है। शिक्षकों ने बताया कि सुरेश कुमार अपने बचपन से ही गायक कलाकर बनना चाहता था। सुरेश पढ़ाई में भी अव्वल है। इसके साथ - साथ खेलकूद प्रतियोगिता में भी स्कूल में स्थान प्राप्त कर रहा है।
ननिहाल में सीखी थी गाने की ताल
सुरेश के पिता लौहारी का काम करते है एवं आर्थिक स्थिति भी कमजोर थी। जिस पर सुरेश ने अपने ननिहाल राह (गुजरात) में जाकर ढोलक, पेटी सहित गानों के लिए हार्मोनियम बजाने सीख लिए। जिसके बाद अपने स्कूल में स्वतंत्रता दिवस एवं गणतत्र दिवस पर गीत गाने शुरू किए।
कलाकारों के बीच रहा प्रथम
जालोर जिले के देवकी ग्राम में गायक कलाकार धनाभारती के भंडारे में आयोजित भजन संध्या में 51 गायक कलाकारों ने भाग लिया था। जिसके प्रकाश माली, मोईनुद्दीन मनचला, श्याम पालीवाल, सविता खारवाल जैसे लोकप्रिय कलाकारों के बीच प्रस्तुतियां देकर प्रथम स्थान प्राप्त किया था।
सर्वप्रथम पांचला में सुनाई थी लोगों को अपनी आवाज
सांचौर उपखंड क्षेत्र के पांचला ग्राम पंचायत में एक बालाजी मंदिर में भजन संध्या की जानकारी मिली। तो सुरेश कुमार अपने पापा के साथ बालाजी मंदिर पांचला पहुंच गया। वहां पहुंचकर उसने आयोजक सदस्यों से एक गाना सुनाने की विनती की, जिस पर आयोजकों ने उसको स्टेज दिया। इस प्रकार से सुरेश ने पहली बार स्टेज पर गाया।
किया था सम्मान
राजस्थान दिवस पर नगरपरिषद में आयोजित कार्यक्रम के दौरान सुरेश कुमार को एडीएम आशाराम डूडी ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया था
सांचौर. उपखंड क्षेत्र के सरनाऊ ग्राम पंचायत में एक होनहार किशोर अपनी आवाज से एक अलग पहचान बनाकर क्षेत्र एवं प्रदेश का नाम रोशन कर रहा है। सांचौर क्षेत्र से 20 किलोमीटर की दूरी पर एक ग्राम सरनाऊ निवासी सुरेश लौहार पुत्र गणेशाराम जो कि महज 13 साल की उम्र का ही है, लेकिन उसने इतनी कम उम्र में ही अपनी आवाज से एक अलग पहचान बना ली है। आवाज के जादू से ही सोशन साइट पर उसके हजारों फैन बन चुके हैं।
इसकी आवाज सुनने के लिए प्रदेश के हर क्षेत्र में कोई भी सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होने पर उसको आमंत्रित किया जा रहा है। वहीं सुरेश कुमार इस उम्र में जिला कलक्टर सहित कई जगहों पर सम्मानित हो चुका है।
13 वर्ष की उम्र में ही मिली प्रसिद्धि
उपखंड क्षेत्र के एक पिछड़े ग्राम में निवास करने वाला सुरेश लौहार ने इसी वर्ष किशोर अवस्था में प्रवेश किया है, लेकिन उसके काम से उसने प्रदेश भर में अपना नाम कमा लिया है। वहीं सुरेश कुमार को गाने के लिए प्रदेश भर से निमंत्रण मिल रहे है।
आठवीं कक्षा का छात्र है सुरेश
सुरेश अपने गांव में ही एक निजी स्कूल में 8वीं में अध्ययनरत है। शिक्षकों ने बताया कि सुरेश कुमार अपने बचपन से ही गायक कलाकर बनना चाहता था। सुरेश पढ़ाई में भी अव्वल है। इसके साथ - साथ खेलकूद प्रतियोगिता में भी स्कूल में स्थान प्राप्त कर रहा है।
ननिहाल में सीखी थी गाने की ताल
सुरेश के पिता लौहारी का काम करते है एवं आर्थिक स्थिति भी कमजोर थी। जिस पर सुरेश ने अपने ननिहाल राह (गुजरात) में जाकर ढोलक, पेटी सहित गानों के लिए हार्मोनियम बजाने सीख लिए। जिसके बाद अपने स्कूल में स्वतंत्रता दिवस एवं गणतत्र दिवस पर गीत गाने शुरू किए।
कलाकारों के बीच रहा प्रथम
जालोर जिले के देवकी ग्राम में गायक कलाकार धनाभारती के भंडारे में आयोजित भजन संध्या में 51 गायक कलाकारों ने भाग लिया था। जिसके प्रकाश माली, मोईनुद्दीन मनचला, श्याम पालीवाल, सविता खारवाल जैसे लोकप्रिय कलाकारों के बीच प्रस्तुतियां देकर प्रथम स्थान प्राप्त किया था।
सर्वप्रथम पांचला में सुनाई थी लोगों को अपनी आवाज
सांचौर उपखंड क्षेत्र के पांचला ग्राम पंचायत में एक बालाजी मंदिर में भजन संध्या की जानकारी मिली। तो सुरेश कुमार अपने पापा के साथ बालाजी मंदिर पांचला पहुंच गया। वहां पहुंचकर उसने आयोजक सदस्यों से एक गाना सुनाने की विनती की, जिस पर आयोजकों ने उसको स्टेज दिया। इस प्रकार से सुरेश ने पहली बार स्टेज पर गाया।
किया था सम्मान
राजस्थान दिवस पर नगरपरिषद में आयोजित कार्यक्रम के दौरान सुरेश कुमार को एडीएम आशाराम डूडी ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया था